धनबाद जिला में ड्रग पेडलर ज्यादा तर युवा वर्ग को निशाना बनाते है 

 

धनबाद: धनबाद में नशे का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है. भीख मांगने वालों से लेकर स्कूल-कॉलेज के छात्र तक इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं. इसके दो कारण हैं- पहला नशे को फैशन मान लेना और दूसरा सहनशक्ति की कमी होना है।विज्ञान की नजर से देखें, तो नशे की लत एक बीमारी है, जिसमें व्यक्ति का स्वयं पर नियंत्रण नहीं रहता. युवा बहुत जल्दी अपना हौसला खो देते हैं. इसका परिणाम यह होता है कि वे नशे की गिरफ्त में फंस जाते हैं।युवा वर्ग की कमजोर सोच का फायदा उठाते हुए नशे के कारोबारी उन्हें नशे के लिए प्रेरित करने लगते हैं. व्यस्त जीवन में अभिभावकों द्वारा अपने बच्चों को समय नहीं देना भी उनके नशे की गिरफ्त में आने का प्रमुख कारण है. नशे की यह लत धनबाद के शहरी इलाकों से निकलकर अब कोलियरी क्षेत्रों में भी पहुंच गयी है. मादक पदार्थों की बिक्री पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रही है।हेरोइन का कारोबार तेजी से ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच गया है. अभी तक भुली, पांडरपाला, वासेपुर, स्टेशन रोड, हीरापुर में इसका कारोबार चल रहा था. अब धीरे-धीरे इसका क्षेत्र व्यापक होता जा रहा है. शहर के सरायढेला और बलियापुर रोड की एक-दो दुकानों में चोरी-छिपे हेरोइन बेची जाने लगी है. निरसा और कतरास के भी कुछ क्षेत्रों में हेरोइन का इस्तेमाल युवा कर रहे हैं. झरिया और डिगवाडीह में हेरोइन की खपत बढ़ने की बात कही जा रही है।

हेरोइन उपलब्ध कराने में अलग-अलग गिरोह काम कर रहे हैं. स्कूल-कॉलेज के बाहर अपने चुनिंदा ग्राहकों को माल उपलब्ध करवाते हैं. उन्हें उधार में भी माल दिया जाता है. पैसे की वसूली बाद की जाती है. कई चाय की टपरी पर भी नशे का सामान उपलब्ध करवाया जा रहा है. गांजे की डिमांड सबसे ज्यादा बढ़ी है.

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